BA Semester-5 Paper-2 Political Science - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।

उत्तर -

भारत में संविधान को देश का सर्वोच्च कानून माना जाता है। इसका उल्लंघन देश की कोई संस्था नहीं कर सकती। प्रशासन को इसी के अनुरूप कार्य करना पड़ता है। यदि प्रशासन इसके विपरीत कार्य करता है तब न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ता है और इसके लिए कुछ विशेष प्रकार के आदेश जारी करता है। यह आदेश सामान्यतः पाँच प्रकार के होते हैं। यह एक औपचारिक लेख होता है जोकि विधिक सत्ता द्वारा जारी किया जाता है और जो किसी व्यक्ति अथवा उसकी सम्पत्ति के अधिकार क्षेत्र की प्राप्ति के प्रयोजन के लिए अथवा उसको विधि न्यायालय में उपस्थित होने के लिए काम में लाया जाता है।

प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के लिए विधि न्यायालय द्वारा जारी किए जाने वाले आदेश निम्नलिखित हैं-

(1) बन्दी प्रत्यक्षीकरण आदेश - बन्दी प्रत्यक्षीकरण की रिट एक आदेश के रूप में जिसमें उस व्यक्ति को जिसने किसी अन्य व्यक्ति को विरुद्ध किया है यह आदेश दिया जाता है कि वह उसे न्यायालय के समक्ष सशरीर उपस्थित करे जिससे कि न्यायालय यह जान सके कि उसे क्यों निरुद्ध किया है और यदि बन्दी बनाए रखने का विधिक औचित्य नहीं है तो उसे मुक्त कर सके।

यह रिट किसी भी व्यक्ति को संबोधित हो सकती है चाहे वह अधिकारी हो या व्यक्तिगत व्यक्ति जिसकी अभिरक्षा में कोई अन्य व्यक्ति है। इस रिट की अवज्ञा करने पर न्यायालय के अवमानना का दण्ड दिया जाएगा। इस प्रकार की रिट प्राइवेट व्यक्ति और कार्यपालिका दोनों के मनमाने कार्यों के विरुद्ध प्रजा के पक्ष में शक्तिशाली रक्षा का उपाय है।

(2) परमादेश - परमादेश एक ऐसा आदेश है जिसके द्वारा न्यायालय किसी अधिकारी अथवा संस्था को अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने का आदेश दे सकता है। परमादेश तभी निकाला जाता है जबकि आवेदक को लोक प्रकृति के किसी विधिक कर्त्तव्य के अनुपालन का विधिक अधिकार हो और जिस पक्षकार के विरुद्ध रिट की याचना की जाती है वह उस कर्त्तव्य को करने के लिए अबद्धकर हो। यह उपचार न्यायालय के विवेकाधीन है। न्यायालय परमादेश देने से इंकार भी कर सकता है। भारत में परमादेश उन अधिकारियों और व्यक्तियों के विरुद्ध दिया जा सकता है जो किसी लोक कर्त्तव्य के लिए आबद्धकर है और सरकार के विरुद्ध भी क्योंकि अनुच्छेद 226 तथा 361 में यह उपबन्ध है कि संपृक्त सरकार समुचित कार्यवाहियाँ की जा सकती हैं। यह रिट अंवर न्यायालयों और अन्य न्यायिक निकायों के विरुद्ध भी प्राप्त की जा सकती है। यदि वह अपनी अधिकारिता का प्रयोग करने से इंकार करते हैं और इस प्रकार अपने कर्त्तव्यों का पालन नहीं करते हैं।

(3) प्रतिषेध आदेश - किसी कार्यक्षेत्र की वैधानिक सीमा के बाहर जाकर यदि कोई कार्य किया जाता है तो न्यायालय उसे सीमित कर सकता है। प्रतिषेध की रिट उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा अवर न्यायालयों से संबंधित रिट है जिसमें उस न्यायालय को अधिकारिता से आधिक्य में कार्यवाही करने से या उस अधिकारिता को हथियाने का प्रतिषेध किया जाता है जो उसमें निहित नहीं की गई है। अर्थात् इस रिट का उद्देश्य अवर न्यायालयों को अपनी अधिकारिता की सीमा में रहने के लिए बाध्य करना होता है।

(4) उत्प्रेषण आदेश - उत्प्रेषण के आदश द्वारा किसी अधीनस्थ न्यायालय अथवा निम्न प्रशासकीय न्यायाधिकरण के समक्ष में आ जाता है ताकि उसके निर्णयों आदि का पुनर्मूल्यांकन हो सके।

उत्प्रेषण की रिट निकालने के लिए निम्न शर्तें आवश्यक हैं-

(क) कोई अधिकरण या प्राधिकारी होना चाहिए जिसे प्रजा के अधिकारों का अवधारण करने की शक्ति हो और जिसका कर्त्तव्य न्यायिक रूप से कार्य करना हो।

(ख) प्रशासकीय अधिकारी ने ऐसी रीति से कार्य किया हो जो उसकी निर्धारित शक्ति की सीमा के अन्तर्गत न हो।

(ग) शिकायत करने वाले पक्ष को किसी उच्चतर प्रशासकीय न्यायाधिकरण अथवा न्यायालय में अपील करने का अधिकार न हो।

(घ) इसका और कोई सामान्य उपचार (ordinary remedy) न हो।

(ङ) उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट मत था कि शुद्ध रूप से प्रशासनिक कार्यवाही के विरुद्ध उत्प्रेषण की रिट तभी दी जाएगी जब प्राधिकारी का कर्त्तव्य न्यायिकतः कार्य करना हो अर्थात् हितबद्ध पक्षकारों को सुनकर और बाहरी बातों पर विचार किए बिना विनिश्चय करना न हो।

(5) अधिकारपृच्छा आदेश - अधिकारपृच्छा एक कार्यवाही है जिसके द्वारा न्यायालय लोक पद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जाँच करता है और यदि उसका दावा सुआधारित नहीं है तो उसे पद से निष्कासित कर देता है।

अधिकारपृच्छा की रिट निकालने के लिए आवश्यक शर्तें निम्नलिखित हैं-

(क) दावे वाले पद का लोक पद होना चाहिए तथा किसी कानून द्वारा या स्वयं संविधान द्वारा सर्जित होना चाहिए।

(ख) पद अधिष्ठायी होना चाहिए। किसी व्यक्ति के प्रासाद या इच्छा पर किसी सेवक कृत्य या नियोजन नहीं।

(ग) ऐसे व्यक्ति को पद पर नियुक्त करने में संविधान या कानून या कानूनी नियम का उल्लंघन हुआ हो।

अधिकारपृच्छा लोकहित के पदों को अवैध रूप से हथियाने के विरुद्ध एक शक्तिशाली प्रक्रिया है।

(6) अवरोध - अवरोध के परवाने द्वारा कोई व्यक्ति किसी औपचारिक कार्य के किसी निर्णय लिए जाने के संचारित होने के पहले सम्बन्धित व्यक्तियों को प्रभावित कार्य करने के लिए मना कर सकता है। वस्तुतः इसका आधार यह है कि यदि किसी निर्णय अथवा औपचारिक कार्य के सम्पादन के पहले प्रभावित कार्य किया जाता है तो सम्बन्धित व्यक्ति को निर्णय अथवा औपचारिक कार्य सम्पादन में अथवा उसके बाद उस व्यक्ति को हानि हो सकती है। इसलिए जब तक वह निर्णय अथवा औपचारिक कार्य पूरा न हो जाय तब तक सम्बन्धित कार्य न किया जाये।

सरकारी अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले सत्ता के दुरुपयोग को रोकने हेतु तथा उसके उपचार के लिए प्रशासक पर न्यायिक नियन्त्रण लगाना अत्यन्त आवश्यक है परन्तु यदि न्यायालयों द्वारा प्रशासन के प्रत्येक कार्य पर पुनर्विचार कर सकने का अधिकार कर दिया गया तो प्रशासनिक व्यवस्था ठप्प सी हो जाएगी। प्रशासकीय यन्त्र कार्य करना बन्द कर देगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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